विश्वास से कुछ भी पा सकते हैं और एक इच्छा से

विश्वास मानव मस्तिष्क का मुख्य तत्व जब से विचारों के साथ मिलाया जाता है तो अब चेतन मस्तिष्क तुरंत ही इस कंपनी को भाप लेता है और और इसे चित्र में दर्शा देता है

सकारात्मक भावनाओं में सबसे सशक्त भाग है भाव है आस्था प्रेम और सेक्स जब यह तीनों मिलते हैं तो विचारों को इस तरह से प्रभावित करते हैं कि यह तत्काल ही अवचेतन मस्तिष्क तक पहुंच जाते हैं जहां इन्हें अध्यात्मिक समतुल्य में बदला जाता है क्योंकि इसके क्रिया पर अनंत बुद्धि की प्रतिक्रिया होती है

आस्था एक मानसिक अवस्था है जिससे आत्म सुझाव के सिद्धांत के प्रयोग द्वारा प्रेरित या निर्मित किया जा सकता है अगर आप अपने अवचेतन मस्तिष्क को बार-बार कोई संदेश दे तो आस्था विकसित हो सकती है

उदाहरण के तौर पर आप उस उद्देश्य पर विचार करें जिसके लिए आप इस पोस्ट को पढ़ रहे हैं जाहिर सी बात है कि इससे पढ़ने का आपका लक्ष्य इच्छा जैसी अमूर्त बाप को इसके बौद्धिक समतुल्य ईंधन में बदलने की योग्यता को हासिल करना है आत्म सुझाव और अवचेतन मस्तिष्क वाले अध्याय में कुछ निर्देश दिए गए हैं जिनका पालन करके अवचेतन मस्तिष्क को विश्वास दिलाया जा सकता है कि आपको अपनी इच्छा वस्तु मिल जाएगी आपका अवचेतन मस्तिष्क विश्वास पर काम करेगा और आपको आस्था प्रदान करेगा जिसके बाद आपके दिमाग में भी सब योजना आएंगे जिनके द्वारा आप अपनी मनचाही चीज हासिल कर सकते हैं

आस्था एक ऐसी मानसिक अवस्था है जिसे आप अपनी इच्छा से विकसित कर सकते हैं लेकिन यह तभी संभव है जब आप सभी 13 सिद्धांतों में निपुण हो और पूरी लगन से इन्हें अपने जीवन में लागू करने की चाह रखते हैं

आस्था को विकसित करने का एक बिल्कुल ही आसान सा उपाय है कि आप अपने अवचेतन दिमाग को बार-बार सकारात्मक निर्देश देते रहे चलिए अब आपको यही बात एक साधन से उदाहरण से समझाता हूं क्या आप जानते हैं कि लोग अपराधी किस तरह बनते हैं कोई व्यक्ति जन्म से अपराधी नहीं होता है कई बार परिस्थितियों परिस्थितियां ही ऐसी बन जाती है कि वह अपराध करने को मजबूर हो जाता है एक प्रसिद्ध क्रिमिनोलांजिस्ट ने इसका बहुत गहरा अध्ययन किया और बताया कि जब लोग पहली बार अपराध करते हैं तो उनके मन में खौफ पैदा हो जाता है क्योंकि अपराध करना उसका पैसा नहीं होता है इसलिए मैं इस से नफरत करने लगते हैं लेकिन अगर वे कुछ समय तक अपराध के संपर्क में रहे तो वे इससे आदी हो जाते हैं और इसे सहन करने लगते हैं अगर भी ज्यादा लंबे समय तक इसके साथ रहे तो अपराध की इस दलदल में चले जाते हैं और फिर उनका वहां से निकलना असंभव हो जाता है

जिन विचारों के पीछे प्रबल भावना होती है और जिन में आस्था होती है वे सभी विचार तत्काल ही अपने भौतिक प्रतिरूप में बदलना शुरू हो जाते हैं भाव या विचार का भावनात्मक पक्ष विचारों को जीवन और सक्रियता प्रदान करना है आस्था प्रेम और सेक्स जब भी किसी विचार के साथ जोड़ते हैं तो उसे बहुत शक्तिशाली बना देते हैं ना केवल आस्था से जुड़े हुए अपितु सकारात्मक और नकारात्मक बाप से जुड़े विचार जब अचेतन मस्तिष्क तक पहुंचते हैं तो उसे भी प्रभावित कर देते हैं

अवचेतन मस्तिष्क की प्रक्रिया करने की क्षमता बहुत ज्यादा होती है यह किसी भी तरह के विचार को बहुत ही तीव्रता से भौतिक समतुल्य में बदल देता है फिर चाहे विचार सकारात्मक हो या नकारात्मक या फिर रचनात्मक अवचेतन मस्तिष्क व अद्भुत रहस्य जिसे समझ पाना प्रत्येक मनुष्य के लिए मुमकिन नहीं है करोड़ों लोगों का मानना है कि उनका जीवन गरीबी और ना कामयाबी की वजह से बर्बाद हो रहा है क्योंकि उन्हें लगता है कि कोई रहस्यमई सकती उनके खिलाफ काम कर रही है और वे उसे रोक पाने में असमर्थ हैं इसी नकारात्मक विश्वास के कारण ही वे अपने दुर्भाग्य के निर्माता खुद होते हैं क्योंकि उनका निष्क्रिय दिमाग उनकी इस नकारात्मक सोच को ग्रहण कर लेता है और इसे भौतिक रूप दे देता है

अगर आप अपनी किसी इच्छा को हकीकत में बदलना चाहते हैं तो उसे अपने अवचेतन मस्तिष्क तक पहुंचा दें यदि आपकी इच्छा प्रबल और आशावादी होगी तभी आप उसे भौतिक प्रतिरूप में बदल सकते हैं वह आस्था और विश्वास द्वारा ही आपकी प्राणहीन मस्तिष्क की क्रियाओं को निर्धारित किया जाता है और आत्मासुझाव द्वारा आप अपने अवचेतन मस्तिष्क को आसानी से धोखा भी दे सकते हैं

ऐसे छल कपट को अधिक वास्तविक बनाने के लिए इस तरह से व्यवहार करें मानो वह चीज आपके पास पहले से ही है जिसकी आप इच्छा कर रहे हो और यह उस समय आपके मन में होना चाहिए जब आप अपने अवचेतन मस्तिष्क को आदेश दे रहे हो आस्था और विश्वास की स्थिति में दिए गए आदेश को निष्क्रिय मस्तिष्क से आसानी से व्यवहारिक ढ़ग से हकीकत में बदल देगा प्रयोग और अभ्यास द्वारा आप अपने अवचेतन मस्तिष्क को दिए जाने वाले किसी भी आदेश को आस्था से सराबोर करने की योग्यता हासिल कर सकते हैं केवल अभ्यास से ही आती है पढ़ने या निर्देश देने से नहीं

है

Sochiye aur Amir baniye

इस युग में हर इंसान एक दूसरे से आगे निकलना चाहता है और ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाना उनके जीवन का मुख्य उद्देश्य होता है अमीरी की इस दौड़ में हमें यह जानकर बहुत प्रोत्साहन मिलता है कि आज की तेजी से बदलती दुनिया में नए विचारों काम करने के नए तरीके नए नेताओं नए आविष्कारों शिक्षण की नई पद्धतियों नई पुस्तकों नए साहित्य मार्केटिंग की नई तक तकनीकों मोबाइल और कंप्यूटर के लिए नई फीचर्स और फिल्मों के लिए नए विचारों की काफी मांग है नई और बेहतर चीजों की इस मांग के पीछे एक ऐसा कौन है जो जीतने के लिए अनिवार्य है और वह निश्चित लक्ष्य जानना कि आप क्या चाहते हैं अपने लक्ष्य को हासिल करने की आपकी प्रबल इच्छा।

दौलत इकट्ठी करने की धुन में हमें यह कदापि नहीं भूलना चाहिए कि इस दुनिया की असली नेता वही लोग हैं जिन्होंने छुपे हुए अविष्कारों की अदृश्य शक्तियों का व्यवहारिक तौर पर प्रयोग किया उन्होंने अपने विचारों की शक्तियों को गगनचुंबी इमारतों शहरों फैक्ट्रियों हवाई जहाजों और सुख सुविधाओं में बदला।

अमीर बनने की योजना बनाते समय सपने देखने वाले को कभी भी छोटा ना समझें और ना ही उन लोगों की बातों में आए जिनका यह मानना है कि सपने देखना मूर्खता है निरंतर बदलती दुनिया में सफलता प्राप्त करने के लिए आपको अतीत के उन महान लोगों के पक्ष में चलना होगा जिन्होंने अपने सपनों की बदौलत मानव जाति को बहुत सी बहुमूल्य चीजें दी बॉस होते जो आज भी हमारे देश की धमनियों में रक्त की तरह प्रभावित हो रहे हैं और यह सूत्रे मौके को पहचाना और अपनी योग्यताओं के बल पर उसका व्यापार करना।

अगर कोई काम सही है और आपका उसे करने का मन है तो खुद पर विश्वास रखिए और बेखौफ उसे अंजाम दीजिए अपने सपने को पूरा करते वक्त कभी भी दूसरों की बातों की परवाह मत कीजिए आपकी अव्यवहारिक असफलता पर लोग क्या कहेंगे शायद लोग ये नहीं जानते कि हर सफलता का मूल मंत्र सफलता में ही छुपा होता है जब तक कोई व्यक्ति हारता नहीं तब तक उसे अपनी जीत का मतलब भी पता नहीं होता।

थॉमस एडिसन ने एक ऐसे बल्ब का सपना देखा जो कि बिजली से जले और उन्होंने अपने इस ख्वाब को भौतिक स्वरूप देने का काम शुरू कर दिया हजारों बार असफलता पाकर भी वह अपने इरादों से जरा भी नहीं हिले और तब तक अपने काम में लगे रहे जब तक कि वह सपना सच नहीं हो गया जो लोग व्यावहारिक होते हैं वह सपने देखने कभी नहीं छोड़ते।।

राइट बंधुओं ने भी एक ऐसी ही मशीन का सपना देखा था जो के हवा में उड़ सके जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण आज सारी दुनिया के सामने है मारकोनी ने एक ऐसी ही यंत्र बनाने का ख्वाब देखा जो आकाश में विद्वान असंख्य शक्तिशाली तत्वों का प्रयोग करके संचालित हो आज दुनिया मौजूद हर रेडियो और टेलीविजन से सेट से हमें इस बात का प्रमाण मिल जाता है कि उनका सपना व्यस्त नहीं था आपको जानकर हैरानी होगी कि जब मारकोनी ने लोगों को बताया कि उनके उसने एक ऐसा सिद्धांत खो जाए जिसके द्वारा वह बिना किसी तार की मदद के हवा में संदेश भेज सकता है तो उसके दोस्त को यह सब पागलपन लगा और वे उसे पकड़कर डॉक्टर के पास ले गए जहां उन्होंने उसकी दिमाग की जांच करवाई क्योंकि उन्हे लगता था कि मारकोनी की मानसिक स्थिति खराब है हो गई है पहले की तुलना में आज के स्वपन दर्शकों से बेहतर स्थिति में हैं आज दुनिया में ऐसे अविष्कारों की भरमार है जो अतीत के स्वपन दर्शकों को कभी नसीब नहीं हुआ था।

अपने ख्वाबों को सकारात्मक रूप देना ही सबसे बड़ी कामयाबी है बनने और करने की प्रबल इच्छा ही किसी कार्य को करने का वह आरंभिक बिंदु है जहां से स्वपन दर्शकों को की यात्रा प्रारंभ होती है मायूस उदासीन और आलस्य से कभी सपने पैदा नहीं होते।

कोई भी कार्य आरंभ करने से पहले एक बात याद रखें कि सफलता कभी भी पहली बार में नहीं मिलती आज तक जितने भी महान व्यक्ति हुए हैं उनकी शुरुआत अनुभव बहुत बुरे थे सफलता की मंजिल पर पहुंचने से पहले उनके मार्ग में बहुत सी बाधा आई कामयाब लोगों की जिंदगी में नया मोड़ पर आए मुसीबतों के वक्त ही आता है और तभी उन्हें अपने व्यक्तिगत रूप का ज्ञान होता है।।

जॉन बनियान जोकि बहुत धार्मिक विचारों वाले व्यक्ति थे को उनकी इस प्रवृत्ति के कारण कई सालों तक जेल की यातनाएं सहन करनी पड़ी लेकिन फिर भी वह अपने लक्ष्य से नहीं भटके और जेल में रहकर ही अंग्रेजों अंग्रेजी साहित्य पर एक बहुत ही बेहतरीन पुस्तक द पिलग्रिम्स प्रोग्रेस की रचना कर डाली।

ओ हेनरी ने अपने अंदर सोई हुई प्रतिभा को उस समय जाना जब उन पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा और उन्हें कोलंबस में ओहियो के कारागर मैं डाल दिया गया लेकिन इतनी मुश्किल भक्तों में भी उन्होंने हिम्मत नहीं छोड़ी और अपने इसी दुर्भाग्य था को सौभाग्य में बदल डाला उन्होंने अपनी कल्पना शक्ति से जाना की जेल में दुखी अपराधी और अपमानित व्यक्ति की तरह जीवन व्यतीत करने से अच्छा है कि वह कुछ ऐसा कार्य करें जिससे दूसरों का भला हो इस तरह उन्होंने लिखना शुरू कर दिया और उनकी इसी कला का परिणाम रहा कि वह एक महान लेखक बन गए।।

मैंने जिंदगी से चवन्नी का सौदा किया और जिंदगी ने भी मुझे इससे ज्यादा नहीं दिया हालांकि जब शाम को मैंने अपनी मजदूरी कि नहीं जो मैंने और ज्यादा पैसे मांगे जिंदगी एक न्यायप्रिय मालिक हैं यह आपको इतना ही देती है जितना आप मांगते हैं परंतु एक बार आप अपनी मजबूरी तय कर लेते हैं तो फिर आपको इतने पर ही काम करना पड़ता है मैं एक मजदूर की पगार पर काम करता रहा मैंने यही सीखा और सोच कर निराश हुआ कि मैं जिंदगी से जो भी तन का मांगता जिंदगी मुझे खुशी-खुशी वही दे देती।

थैंक यू दोस्तों आप चाहो तो आप अपनी जिंदगी बदल सकते हो इन सभी विचारों को ध्यानपूर्वक पढ़ें और अपने जीवन में उतारें आपका बहुत-बहुत धन्यवाद कृपया कमेंट करें और ऐसी पोस्ट आपके लिए लाता रहूंगा धन्यवाद दोस्तों।।

अमीर बनने के सबसे आसान उपाय

(1) – अपने दिमाग में पैसे की वह निश्चित मात्रा सोचना जिसे हासिल करने की आपकी प्रबल अच्छा है सिर्फ यह कह देना कि मैं बहुत सारा पैसा चाहता हूं पर्याप्त नहीं है एक निश्चित रकम ही सोच है इसके पीछे भी एक मनोवैज्ञानिक कारण है जिसका विषय में विस्तार पूर्वक वर्णन है

(2)_ यह भी तय कर लें कि जिस धन को आप पानी की प्रबल इच्छा आपके मन में है उसके बदले में आप क्या देना चाहेंगे क्योंकि सच्ची बात तो यह है कि इस दुनिया में कोई भी चीज मुफ्त में नहीं मिलती कुछ पाने के लिए कुछ खोना ही व्यापार है।

(3)_जिस तारीख तक आपको धन चाहिए वह भी आप तय कर लें।

(4)_अपनी इच्छा को पूरा करने के लिए एक योजना बना ले फिर चाहे आप उसके लिए तैयार हो या ना हो बस एकदम से काम में जुट जाएं।

(5)_ऊपर दिए गए चारों कदमों को एक पुस्तक में लिख लें।

(6)_अब अपने लिखे गए कदमों को सुबह शाम जोर-जोर से पढ़े हैं जब भी आप इसे पढ़ें तो दिल में यही सोचिए कि उतना पैसा आपके पास है।

यही विश्वास एक दिन वास्तविक रूप में आपके सामने खड़ा होगा अपनी इच्छा पूर्ति के लिए जरूरी है कि आप इन 6 चरणो में बताए गए निर्देशों का पालन करें और सबसे अंतिम चरण का नियमित रूप से अनुसरण करें मुझे पता है कि आप यही सोच रहे होंगे कि जब आपके पास पैसा है ही नहीं तो विश्वास कैसे कर ले यकीन मानिए एक बार इस पर चल कर तो देखिए सारी मुश्किल है खुद ब खुद आसान होती जाएंगी इस कार्य को पूरा करने में प्रबल इच्छा शक्ति आपकी मदद करेगी अगर आप सचमुच अमीर बनने की प्रबल इच्छा है तो यह इच्छा एक दीवानगी बन जाएगी और आप को खुद को विश्वास दिलाने में जरा भी कठिनाई नहीं होगी कि आप इसे हासिल कर लेंगे।

किसी अज्ञानी अमूर्त व्यक्ति के लिए निर्देश केवल मजाक और अनुपयोगी ही सिद्ध होंगे क्योंकि वह मानव मस्तिष्क के काम करने की सिद्धांतों के बारे में कुछ नहीं जानता पर कुछ लोग इन 6 चरणो की ताकत को पहचानने में असफल रहते हैं उन सबके लिए एक एन्ड्रयू कारनेगी को जाना बहुत जरूरी है जिन्होंने अपनी जीवन की शुरुआत एक स्टील मिल मैं साधारण से मजदूर के रूप में कार्य करने से आरंभ की थी इतनी छोटी सी शुरुआत के बावजूद भी उन्होंने इन सिद्धांतों के बाद $100000000 से ज्यादा की दौलत कमाई।

थॉमस ए एडिसन ने भी इन्हीं 6 सिद्धांतों का सावधानीपूर्वक विश्लेषण किया और फिर उस पर अपनी सहमति की मुहर लगाई उनका तो यह तक कहना है कि यह सिद्धांत ना सिर्फ दौलत कमाने के लिए अनिवार्य है बल्कि किसी भी लक्ष्य को हासिल करने के लिए अनिवार्य है।

इन पर चलने के लिए ना तो किसी तरह की मेहनत की आवश्यकता है और ना ही यह आपसे कोई वरदान मांगते हैं इनका पालन करने के लिए आपका शिक्षित होना ही भी जरूरी नहीं है लेकिन इन सिद्धांतों को सफलतापूर्वक जीवन में उतारने के लिए जरूरी है कि आप में पर्याप्त कल्पना सकती हो ताकि आप देख सके और समझ सके के अमीर बनना किस्मत यहां सहयोग के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता जिन लोगों ने ढेर सारी दौलत कमाई है उन्होंने भी दौलत पाने से पहले काफी सारे सपने देखे होंगे आशाएं की होंगी और फिर उन्हें पूरा करने के लिए प्रबल इच्छा हो और योजनाओं का सहारा लिया होगा या आप यह भी जान लें कि आप ढेर सारी दौलत कभी नहीं कमा सकते अगर आप में अमीर बनने की इच्छा नहीं होगी और अगर आप वास्तव में विश्वास नहीं करेंगे कि यह दौलत आपके पास है।

हेलो दोस्तों चली आओ एक और आदमी की अलग स्थिति का अध्ययन करते हैं जिसके पास अमीर बनने का ठोस साधन था लेकिन अपनी लापरवाही के कारण उसने सब गवा दिया क्योंकि वह अपने लक्ष्य से केवल तीन पीठ पीछे ही हौसला खो बैठा

असफलता का एक आम कारण यह भी है कि लोग अस्थाई पराजय से घबराकर मैदान छोड़ देते हैं दुनिया में हर दूसरा इंसान इस तरह की गलती को अपने जीवन काल में कभी न कभी जरूर दौहराता है जिसका परिणाम बहुत दुखदाई होता है

आर यू डार्वी के अंकल गोल्डरश दौर में सोने की खोज के अभियान में जुट गए जिसके लिए वह पश्चिम दिशा में गए और धरती की खुदाई शुरू कर दी है इंसान प्राय अपने अंदर छिपे गुणों के खजाने से अनजान होता है और भारी खजाने की तलाश में इधर-उधर भटकता रहता है इसी तरह वह भी कुदाली फावड़ा लेकर खुदाई करने में जुट गए

कई सप्ताह की कड़ी मेहनत के बाद उन्हें गहराई से चमकते हुए सोने की झलक दिखाई दी लेकिन इसे ऊपरी सतह तक लाना इतना आसान ना था उसने मशीनों की सहायता से इसे ऊपर लाने की योजना बनाई और चुपचाप खदान का मुंह ढक कर वापस अपने घर विलियमवर्ग के मैरीलैंड आ गए वहां उन्होंने अपने कुछ दोस्तों और रिश्तेदारों को सोने की खुदाई के बारे में बताया सब ने मिलकर मशीनें खरीदने के लिए पैसे का प्रबंध किया और फिर अंकल और डार्वी फिर से खुदाई का काम शुरू करने वापस खदान में पहुंचे कच्ची धातु की पहली को स्मेल्टर तक पहुंचाया गया तो उन्हें पता चला कि उनकी खदान को लारेडो की सबसे बढ़िया खदान है और उसकी कुछ खेतों में ही उनके सारे कर्ज उतर जाएंगे फिर इसके बाद उन्हें भारी मात्रा में लाभ होगा कल्पना मात्र से ही उनकी तबियत खुश हो गई

जैसे-जैसे मशीनें नीचे गहराई में जाने लगी वैसे वैसे उन दोनों की उम्मीदें आसमान छूने लगती लेकिन तभी एक ऐसी अनहोनी हुई जिसमें उनके सारे सपने चूर-चूर हो गए सोने की चमक एकाएक गायब हो गई लेकिन दिल में आशा की एक किरण अभी भी जग रही थी कि शायद एक बार फिर से सोने की एक झलक दिख जाए इसलिए उन्होंने खुदाई का काम जारी रखा परंतु इससे कोई फायदा नहीं हुआ आखिरकार उन्होंने हार मान ली और निराश होकर वहां से चले गए उन्होंने मशीने कौड़ियों के भाव कवाड़ी वालों को बेच दी और घर वापस लौट गए लेकिन कबाड़ी वाला भी बेवकूफ नहीं था उसने एक इंजीनियर को बुलाया और खदान का अच्छी से निरीक्षण करवाया इंजीनियर ने मिशन की असफलता का कारण बताते हुए कहा कि इस खदान के मालिक अच्छी तरह अभ्यस्त नहीं थे वे यह नहीं जानते थे कि खदानों में प्राय फाल्ट लाइन आती है जिसके मुताबिक सोनी खुदाई वाले स्थान से मात्र 3 फुट नीचे का और इंजीनियर का अनुभव साबित हुआ

कबाड़ी वाला देखते ही देखते करोड़पति हो गया क्योंकि वह जानता था कि हार मानने से पहले किसी विशेषज्ञ की सलाह लेना उचित होता है डार्वी को इसकी बहुत भारी कीमत अदा करनी पड़ी मशीनें खरीदने के लिए उसने अपने दोस्त और रिश्तेदारों से बहुत बड़ी रकम उधार पर ली थी धीरे-धीरे करके उसने लोगों का एक $1 लौटा दिया जिसके लिए उसे कई सालों तक कड़ी मेहनत करनी पड़ी

वो कहते हैं ना_ हिम्मत _ए _मर्दा _तो _मदद _ए _खुदा। सोने की हार वाली घटना से डार्वी ने भी एक सबक सीखा की हार मानने की वजह जुटे रहना ज्यादा अच्छा है उसे इस सच्चाई का ज्ञान हो गया था कि अगर इच्छा को सोने में बदला जा सकता है तो दुनिया में हर नामुमकिन बाद संभव है उसकी इसी ताकत की बदोलत जल्द ही उसने अपने सारे नुकसान भी कई गुणा भरपाई कर ली यह सब तब हुआ जब वह जीवन बीमा बेचने के व्यापार में आए।।

अपने नए बिजनेस में वह हमेशा खुद से कहा करते थे कि ना सोने से केवल 3 फुट दूर ही रुक गया था परंतु जब मैं लोगों से बीमा खरीदने को कहता हूं तो उनके ना कहने पर रुकूंगा नहीं बल्कि दोगुने हौसले से आगे बढ़ जाऊंगा उसके इसी आत्मविश्वास ने उसे सफलता दिलवाई और शीघ्र ही डार्वी की गिनती कंपनी के कुछ चुनिंदा लोगों में होने लगी जिन्होंने हर साल 1 मिलियन से भी अधिक बी में बेचे थे।।

दुनिया में चाहे कोई भी इंसान हो प्रत्येक कार्य में निपुण नहीं होता गिर कर सामान ले वाले ही कामयाबी हासिल करते हैं अक्सर देखा जाता है कि जब भी कोई व्यक्ति असफल होता है तो उसके पास बचने का सबसे आसान तरीका होता है कायरों की तरह मैदान छोड़कर भाग जाना और ज्यादातर लोग यही करते हैं लेकिन परिस्थितियों से बचकर भागना किसी मुश्किल का हल नहीं जरूरत है कि हम हारने के बाद फिर से उठे हैं और पहले से ज्यादा जोर से अपने कार्यों में लग जाएं देश के करीब 500 से अधिक सफल लोगों ने बताया है कि उन्हें सफलता उस मोड़ पर मिली जब भी पूरी तरह हार चुके थे या फिर एक कदम आगे ही सफलता उनका इंतजार कर रही थी याद रखिए असफलता बहुत ही चालाक है और मजाकिया किस्म की होती है इसे लोगों को गिराने में तब मजा आता है जब सफलता उनके बहुत करीब होती है।

सोने की खुदाई के अनुभव से मिस्टर डार्वी को असफलता की यूनिवर्सिटी से डिग्री मिल चुकी थी उसके कुछ समय बाद ही उन्होंने एक और नए अनुभव का ज्ञान हुआ जिससे उन्होंने सबक सीखा के ना का मतलब हमेशा ना नहीं होता।।

1 दिन दोपहर मैं वही पुरानी मिल में अपने अंकल की गेहूं साफ करने में मदद कर रहे थे अंकल के फार्म हाउस पर बहुत से अश्वेत किसान रहते थे जो कि मिल में मजदूरी करके अपना पेट पालते थे अचानक धीरे से दरवाजा खोला और किराएदार की एक छोटी सी अश्वेत लड़की अंदर आई और दरवाजे के पास आकर खड़ी हो गई।

उसे देखते ही अंकल चिल्लाए ” पूछा क्या चाहिए तुम्हें??

बच्ची ने विनम्रता से कहा ” मेरी मम्मी ने कहा है कि आप उन्हें उनके 50 सेंट भिजवा दें!

मैं नहीं दूंगा चली जाओ तुम यहां से अंकल ने बड़ी बेरुखी से जवाब दिया।

यस सर बच्ची ने जवाब दिया परंतु वह वहीं खड़ी रही।

अंकल फिर से अपने काम में जुट गए हो वह इतने व्यस्त थे कि उन्होंने ध्यान ही नहीं दिया कि लड़की अभी भी वही खड़ी है काफी देर बाद जब उनकी नजर बच्ची पर गई तो फिर से चिल्लाए मैंने कहा था ना तुम जाओ यहां से नहीं तो मैं अभी तुम्हारी पिटाई कर दूंगा।

“यस” सर लड़की ने कहा लेकिन वह अपनी जगह से जरा भी ना मिली।

अंकल ने अनाज की उस बोरी को वही पटक दिया जिसे वह उठाकर चक्की में डालने वाले थे और डंडा उठाकर तेज कदमों से बच्ची की ओर लपके उनके हाव भाव देखकर लगता था कि आज तो बच्ची की खैर नहीं।

कुछ क्षण के लिए डार्वी की सांसें थम गई उसे पता था कि अंकल का गुस्सा तेज है और वह बच्ची को पीट देंगे घबराहट के मारे डार्वी ने दोनों हाथों से चेहरा छुपा लिया।

लेकिन जैसे ही अंकल बच्ची के नजदीक पहुंचे तो लड़की भी पीछे हटने की वजह एक कदम अंकल की तरफ बढ़ गई और उनकी आंखें मैं आंखें डाल कर चिल्लाई मेरी मम्मी को 50 सेंट चाहिए ही चाहिए।

इतनी छोटी सी बच्ची का हौसला देखकर स्तंभ नजरों से उसे ही ताकता रहा अंकल का गुस्सा एकदम से शांत हो गया और डंडा उसके हाथ से छूटकर नीचे गिर गया उन्होंने अपने जेब से आधा डॉलर निकाला और बच्ची को दे दिया।

बच्ची ने पैसे लिए और धीरे-धीरे दरवाजे की तरफ बढ़ने लगी लेकिन उसकी नजरें अभी भी उस आदमी पर लगी थी जिससे उसने कभी अभी हराया था जब वह चली गई तो अंकल एक बॉक्स पर बैठ गए और बिना कुछ कहे करीब 10-15 मिनट तक खिड़की के बाहर जाते हुए कुछ सोचते रहे शायद मैं यह सोच रहे थे कि एक छोटी सी बच्ची के अद्भुत सास ने उनके अभिमान को कुछ ही क्षण में पैरों तले रौंद दिया।

डार्वी के मन में भी कुछ इसी तरह का चिंतन चल रहा था अपने जीवन काल में उसने पहली बार किसी छोटी सी अश्वेत बच्ची को किसी वयस्क श्वेता आदमी पर इस कदर हावी होते देखा था जो कि कोई छोटी मोटी बात नहीं थी उस बच्ची ने ऐसा कैसे किया ऐसी कौन सी शक्ति थी जो उसने में कि वह अंकल के सामने भी नहीं घबराई और अंकल को क्या हो गया था उनका ज्वालामुखी की तरह फूटा आक्रोश पल भर में कैसे शांत हो गया और एक आज्ञाकारी बेटी की तरह बच्ची की बात मान ली इस तरह के अनगिनत सवाल लगातार उसके जेहन में उमड़ते रहे लेकिन वर्षों तक जवाब का इंतजार ज्यों का त्यों बना रहा।

जब दो जने उस पुरानी मिल में खड़े थे तो डार्वी ने इसी पूरी वाकऐ को फिर से दौरा है और अंत में एक ही सवाल पूछा आपको क्या लगता है बच्ची में ऐसी कौन सी शक्ति थी जिससे कि उसने अंकल जैसे गुस्सैल और हटी व्यक्ति को हरा दिया खैर आप ज्यादा सोच विचार मत कीजिए इस सवाल का जवाब आपको इस टाइटल में मिल जाएगा उम्मीद है कि आप सब इस से पूरी तरह संतुष्ट होंगे सारी जानकारी विस्तार पूर्वक और दातों के अनुसार ही दी गई है जिसकी मदद से कोई भी व्यक्ति गुस्सा अद्भुत शक्ति का प्रयोग कर सकता है जिसका प्रयोग ने अनजाने में ही कर लिया।

चलिए अगले अध्याय में शक्ति की एक और झलक देखने को मिलेगी तो अब आप अपनी आंखें खुली और दिमाग 70 रखिए क्योंकि इससे उसी अद्भुत शक्ति का जिक्र है जिसने बच्ची की अपनी बात पर अडिग रहने वालों की स्पष्ट पोस्ट में कहीं-कहीं पर आपको ऐसे विचार भी मिल जाएंगे जिन्हें पढ़कर आपकी गृहणशील शक्तियां पैनी हो जाएंगी और आप भी अपने लाभ के लिए उन अचूक शक्तियों का उपयोग कर सकते हैं यह किसी भी रूप मैं आपकी सामने आ सकते हैं हो सकता है कि यह सोच के रूप में आपके सामने ओवर कराएं या फिर किसी योजना की तरह यह धीरे-धीरे आपको आपके अतीत में ले जा सकता है या पिछली किसी असफलता की तरफ भी जहां से आपको निष्कर्ष निकालना होगा जिससे कि जितना आपने खोया है उससे कहीं ज्यादा हासिल करने का आत्मविश्वास जागे

जब मैं और डार्वी आपस में बात कर रहे थे तो उसने उस छोटी सी अश्वेत बच्ची के अद्भुत शक्ति के प्रयोग करने का किस्सा फिर से कहा तभी डार्वी ने अपने 30 साल के जीवन बीमा सेल्समैन के काम का विश्लेषण करते हुए इस सच्चाई को स्वीकार किया कि उसकी इस सफलता की वजह वही छोटी बच्ची है और उसकी हिम्मत है जिस से सबक लेकर मैंने हर ना को हां मैं बदल दिया।।

मिस्टर डार्विन ने बताया हर बार जब भी कोई संभावित ग्राहक मुझ से सामान खरीदने से मना कर देता या फिर मुंह पर ही दरवाजा बंद करके जाने लगता तो मुझे उसी वक्त मिलने खड़ी उस छोटी सी बच्ची की याद आ जाती जिसकी बड़ी-बड़ी निश्चल सी आंखें मैं अब अवज्ञा साफ नजर आ रही थी यह याद आते ही मैं खुद से कहता कि मुझे यहां सेल अवश्य करनी चाहिए और आप यकीन नहीं मानोगे कि मेरी जाकर बिक्री तभी शुरू हुई जब लोगों ने शुरुआत में ही ना कहा।।।

विचार ही वस्तु है

यह एक सच बात है कि सोच एक बहुत शक्तिशाली भाव है जिसे बदल पाना मुश्किल ही नहीं बल्कि असंभव है पर उसमे निश्चित लक्ष्य लगन और कुछ कर दिखाने की तागत होनी चाहिए

कि मनुष्य सोच कर भी अमीर बन सकता है ऐसा इसलिए कहते है क्योंकि बहुत समय पहले की बात है

बान्स में एक ख़ास बात थी और वो ये कि वह अपनी बात पर हमेशा अडिग रहते थे वह एडीसन के साथ काम करना चाहते थे लेकिन सिर्फ अपने लक्ष्य पूर्ति के उद्देश्य से ना कि एडीसनके लिए। इसलिए पाठको से निवेदन है कि इस टाइटल के हर एक वाक्य को ध्यानपूर्वक पढ़ें और उन सब सिद्धांतों को अच्छी तरह से समझे ताकि आप भी अपनी विचार शक्ति से अपने जीवन को एक नई दिशा में ले जा सकते हैं जब पहली बार उनके मन में यह ख्याल आया तो उस वक्त वह इस स्थिति में नहीं थे कि इसे सकारात्मक रूप दे सकें रास्ते में उनके रास्ते में दो मुश्किलें थी पहली यह कि वह एडिशन को जानते नहीं थे और दूसरी कि उनके पास ऑरेंज न्यूजर्सी जाने के लिए रेल यात्रा के लिए किराए के पैसे नहीं थे

इस तरह की मुसीबत में मजबूत से मजबूत इंसान का भी हौसला तोड़ देती हैं और वह हार मान कर बैठ जाता है लेकिन बानर्स बुलंद इरादों के आगे कोई आज बाधा ज्यादा देर तक नहीं टिक पाई और उन्होंने मालगाड़ी से यात्रा करने का फैसला किया

फिर एक दिन वह मिस्टर एडीसन की प्रयोगशाला में जा पहुंचे और एडीसन को अपने वहां आने का मकसद बताते हुए कहा कि वह महान आविष्कारक का बिजनेस पार्टनर बनने आया है ऐसा करते वक्त ना तो उसकी आंखों में कोई डर था और ना ही किसी तरह की हिचकिचाहट अगर कुछ था तो अपने उद्देश्य पूर्ति का जज्बा उनकी और एडिशन की पहली मुलाकात के बाद बारे में कई वर्षों बाद एडिशन ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा।

वह एक सड़क छाप की तरह मेरे सामने खड़ा था उसका हुलिया बहुत खराब था अस्त-व्यस्त से बिखरे बाल अजीबो-गरीब पहनावा सब कुछ एकदम अलग मानो किसी दूसरी दुनिया का आदमी हो लेकिन इसके बावजूद भी उसने ऐसा कुछ आकर्षण था जो मुझे लगातार उसकी तरफ खींचा जा रहा था उसकी आंखों की चमक और चेहरे के भावों कुछ तो था जिसे पूरा करने वह यहां आया था ऐसे

लोग दृष्टि संकल्प भी होते हैं और जो वह कहते हैं उसे पूरा करके ही दम लेते हैं अपने जीवन के कई सालों के अनुभव से मैंने एक बात सीखी है कि अगर कोई व्यक्ति किसी काम को करने की ठान लेता है तो उसे पूरा करने के लिए हर मुश्किल का सामना करने को तैयार रहता है और ऐसी व्यक्तियों की जीत होना सुनिश्चित है मैंने भी उसे खुद को साबित करने का एक मौका दिया जो कि मैं जान चुका था कि उसका उद्देश्य निश्चित है और वह उसमें तब तक लगा रहेगा जब तक कि वह सफल ना हो जाए और आज मुझे अपने उस वक्त लिए फैसले पर गर्व महसूस हो रहा है

दरअसल उस वक्त एड़ी एडिशन बानर्स के हुलिए से नहीं बल्कि उसकी सोच से प्रभावित थे

अपनी लक्ष्य प्राप्ति के लिए बानर्स को कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ा एडिशन ने उसे अपने ऑफिस में बहुत कम तनख्वाह पर काम पर रखा जो के एडमिशन के लिए कोई ज्यादा बड़ी बात नहीं थी लेकिन बानर्स के लिए यही उसकी मंजिल की पहली सीढ़ी थी

बहुत महीने निकल गए इसी दौरान कुछ भी ऐसा घटित नहीं हुआ जिसमें कि बानर्स को अपने लक्ष्य तक पहुंचने का रास्ता मिल पाता लेकिन बानर्स के दिमाग में गतिविधियां लगातार सकारात्मक रूप लेती गई एडिशन का बिजनेस पार्टनर बनने की इच्छा निरंतर उसके मन में घर करती गई।

मनोविज्ञान का यह कहना बिल्कुल सही है कि जब कोई व्यक्ति किसी चीज के लिए सचमुच तैयार होता है तो वह उसे जरूर मिलती है बानर्स ने भी संकल्प कर लिया था कि जब तक अपनी मनोइच्छा पूरी ना हो जाए वह पीछे मुड़कर नहीं देखेगा

उसने कभी खुद से यह नहीं कहा अरे मुझे ऐसा काम करने की क्या जरूरत है इससे तो बेहतर है कि मैं कहीं दूसरी जगह जाकर सेल्समैन की नौकरी कर लूं इसकी वजह उसने कहा कि मैं यहां एडिशन के साथ काम करने आया हूं और अपनी आखिरी सांस तक इसे पूरा करके ही रहूंगा अपनी बात से पीछे हटना उसके लिए असंभव सी बात थी उसका मानना था कि अगर कोई व्यक्ति संपूर्ण एकाग्रता और संपन्न से अपनी लक्ष्य की प्राप्ति में जुड़ जाता है तो उसकी किस्मत बदल सकती है

बानर्स की यही मेहनत लगन व दृष्टि संकल्प धीरे-धीरे सारी बाधाओं को दूर करते हुए उसे मंजिल के करीब लाता गया और जल्द ही उसे वह मौका मिल गया जिसका उसे बहुत समय से इंतजार था वह कहावत तो सबने सुनी होगी कि सब्र का फल मीठा होता है ऐसा ही कुछ बानर्स के साथ भी हुआ उसने सब मुश्किलों का धैर्य पूर्वक सामना किया जिसका परिणाम बहुत ही रोमांचक रहा बानर्स ने कभी उम्मीद नहीं की थी कि उसकी परीक्षा इतनी जल्दी खत्म हो जाएगी और उसे खुद को साबित करने का मौका मिल जाएगा चालबाजी करना ज्यादातर इंसानों की फितरत में होता है लेकिन नियति कब क्या खेल खेलती है यह जानना सबके बस की बात नहीं है सब इतने चुप के से होता है कि पल में ही सारी बाजी पलट जाती है और हम सब मूकदर्शन की तरह खड़े देखते ही रह जाते हैं

एडिसन ने एक नया ऑफिस यंत्र बनाया जिसे उस वक्त एडिशन डिटेक्टिंग मशीन के नाम से जाना जाता था लेकिन उसके सेल्समैन में इस मशीन को लेकर कुछ ज्यादा उत्साह नहीं था उनका कहना था कि इस तरह की मशीन को बेचना कोई आसान काम नहीं है लेकिन बानर्स ने उस पर भी मौका नहीं छोड़ा और इस मशीन को ही आगे बढ़ने का मार्ग बनाया जिसमें से उसे और एडिशन को छोड़कर किसी तीसरे को कोई विशेष रूचि नहीं थी बानर्स को यकीन था कि वही एडिशन की इस मशीन को बेच सकता है और उससे उसने जैसे ही यह बात एडिशन को बताई तो उन्होंने तुरंत ही बानर्स को इस यंत्र को बेचने की इजाजत दे दी उसने मशीन इतनी सफलतापूर्वक बीच की एडमिशन की खुशी का कोई ठिकाना ही नहीं रहा और उसने बांस को देश भर में मशीन डिस्ट्रीब्यूटर मार्केट करने का कोस्ट्रक्ट दे दिया बिजनेस ने 3 साल में इतना पैसा कम आएगा जितना उसने खयालों में भी नहीं सोचा था लेकिन सबसे अहम बात तो यह थी कि उसके लिए पैसा इतना जरूरी नहीं था जितना कि उसके उद्देश्य की उपलब्धि उसने साबित कर दी कि इंसान चाहे तो सोचकर भी अमीर बन सकता है

बानर्स इस की छोटी सी मौलिक इच्छा के वास्तविक मूल्य का ज्ञान तो मुझे भी नहीं है लेकिन हां इतना अनुमान अवश्य है कि उसे 20 या $300000 से कम ना मिले होंगे परंतु यह रकम इतनी महत्वपूर्ण नहीं है मायने रखता है कि यह जानना कि इंसान सिद्धांतों के सहारे अपने जीवन अपने विचारों को भौतिक रूप कैसे देता है

आम लोगों की तरह बानर्स ने भी एडिशन के साथ बिजनेस करने की बात सोची और उस वक्त ना तो उसके पास दौलत थी और ना ही वह पर इतना पढ़ा लिखा था लेकिन उसके पीछे विश्वास और जीतने की शक्ति ने उसे इस काम में बहुत मदद की और अपने ही हाथों में बल के दम पर उसने अपना नाम देश के महान आविष्कारों की श्रेणी में लिखवाया