असफलता का एक आम कारण यह भी है कि लोग अस्थाई पराजय से घबराकर मैदान छोड़ देते हैं दुनिया में हर दूसरा इंसान इस तरह की गलती को अपने जीवन काल में कभी न कभी जरूर दौहराता है जिसका परिणाम बहुत दुखदाई होता है
आर यू डार्वी के अंकल गोल्डरश दौर में सोने की खोज के अभियान में जुट गए जिसके लिए वह पश्चिम दिशा में गए और धरती की खुदाई शुरू कर दी है इंसान प्राय अपने अंदर छिपे गुणों के खजाने से अनजान होता है और भारी खजाने की तलाश में इधर-उधर भटकता रहता है इसी तरह वह भी कुदाली फावड़ा लेकर खुदाई करने में जुट गए
कई सप्ताह की कड़ी मेहनत के बाद उन्हें गहराई से चमकते हुए सोने की झलक दिखाई दी लेकिन इसे ऊपरी सतह तक लाना इतना आसान ना था उसने मशीनों की सहायता से इसे ऊपर लाने की योजना बनाई और चुपचाप खदान का मुंह ढक कर वापस अपने घर विलियमवर्ग के मैरीलैंड आ गए वहां उन्होंने अपने कुछ दोस्तों और रिश्तेदारों को सोने की खुदाई के बारे में बताया सब ने मिलकर मशीनें खरीदने के लिए पैसे का प्रबंध किया और फिर अंकल और डार्वी फिर से खुदाई का काम शुरू करने वापस खदान में पहुंचे कच्ची धातु की पहली को स्मेल्टर तक पहुंचाया गया तो उन्हें पता चला कि उनकी खदान को लारेडो की सबसे बढ़िया खदान है और उसकी कुछ खेतों में ही उनके सारे कर्ज उतर जाएंगे फिर इसके बाद उन्हें भारी मात्रा में लाभ होगा कल्पना मात्र से ही उनकी तबियत खुश हो गई
जैसे-जैसे मशीनें नीचे गहराई में जाने लगी वैसे वैसे उन दोनों की उम्मीदें आसमान छूने लगती लेकिन तभी एक ऐसी अनहोनी हुई जिसमें उनके सारे सपने चूर-चूर हो गए सोने की चमक एकाएक गायब हो गई लेकिन दिल में आशा की एक किरण अभी भी जग रही थी कि शायद एक बार फिर से सोने की एक झलक दिख जाए इसलिए उन्होंने खुदाई का काम जारी रखा परंतु इससे कोई फायदा नहीं हुआ आखिरकार उन्होंने हार मान ली और निराश होकर वहां से चले गए उन्होंने मशीने कौड़ियों के भाव कवाड़ी वालों को बेच दी और घर वापस लौट गए लेकिन कबाड़ी वाला भी बेवकूफ नहीं था उसने एक इंजीनियर को बुलाया और खदान का अच्छी से निरीक्षण करवाया इंजीनियर ने मिशन की असफलता का कारण बताते हुए कहा कि इस खदान के मालिक अच्छी तरह अभ्यस्त नहीं थे वे यह नहीं जानते थे कि खदानों में प्राय फाल्ट लाइन आती है जिसके मुताबिक सोनी खुदाई वाले स्थान से मात्र 3 फुट नीचे का और इंजीनियर का अनुभव साबित हुआ
कबाड़ी वाला देखते ही देखते करोड़पति हो गया क्योंकि वह जानता था कि हार मानने से पहले किसी विशेषज्ञ की सलाह लेना उचित होता है डार्वी को इसकी बहुत भारी कीमत अदा करनी पड़ी मशीनें खरीदने के लिए उसने अपने दोस्त और रिश्तेदारों से बहुत बड़ी रकम उधार पर ली थी धीरे-धीरे करके उसने लोगों का एक $1 लौटा दिया जिसके लिए उसे कई सालों तक कड़ी मेहनत करनी पड़ी
वो कहते हैं ना_ हिम्मत _ए _मर्दा _तो _मदद _ए _खुदा। सोने की हार वाली घटना से डार्वी ने भी एक सबक सीखा की हार मानने की वजह जुटे रहना ज्यादा अच्छा है उसे इस सच्चाई का ज्ञान हो गया था कि अगर इच्छा को सोने में बदला जा सकता है तो दुनिया में हर नामुमकिन बाद संभव है उसकी इसी ताकत की बदोलत जल्द ही उसने अपने सारे नुकसान भी कई गुणा भरपाई कर ली यह सब तब हुआ जब वह जीवन बीमा बेचने के व्यापार में आए।।
अपने नए बिजनेस में वह हमेशा खुद से कहा करते थे कि ना सोने से केवल 3 फुट दूर ही रुक गया था परंतु जब मैं लोगों से बीमा खरीदने को कहता हूं तो उनके ना कहने पर रुकूंगा नहीं बल्कि दोगुने हौसले से आगे बढ़ जाऊंगा उसके इसी आत्मविश्वास ने उसे सफलता दिलवाई और शीघ्र ही डार्वी की गिनती कंपनी के कुछ चुनिंदा लोगों में होने लगी जिन्होंने हर साल 1 मिलियन से भी अधिक बी में बेचे थे।।
दुनिया में चाहे कोई भी इंसान हो प्रत्येक कार्य में निपुण नहीं होता गिर कर सामान ले वाले ही कामयाबी हासिल करते हैं अक्सर देखा जाता है कि जब भी कोई व्यक्ति असफल होता है तो उसके पास बचने का सबसे आसान तरीका होता है कायरों की तरह मैदान छोड़कर भाग जाना और ज्यादातर लोग यही करते हैं लेकिन परिस्थितियों से बचकर भागना किसी मुश्किल का हल नहीं जरूरत है कि हम हारने के बाद फिर से उठे हैं और पहले से ज्यादा जोर से अपने कार्यों में लग जाएं देश के करीब 500 से अधिक सफल लोगों ने बताया है कि उन्हें सफलता उस मोड़ पर मिली जब भी पूरी तरह हार चुके थे या फिर एक कदम आगे ही सफलता उनका इंतजार कर रही थी याद रखिए असफलता बहुत ही चालाक है और मजाकिया किस्म की होती है इसे लोगों को गिराने में तब मजा आता है जब सफलता उनके बहुत करीब होती है।
सोने की खुदाई के अनुभव से मिस्टर डार्वी को असफलता की यूनिवर्सिटी से डिग्री मिल चुकी थी उसके कुछ समय बाद ही उन्होंने एक और नए अनुभव का ज्ञान हुआ जिससे उन्होंने सबक सीखा के ना का मतलब हमेशा ना नहीं होता।।
1 दिन दोपहर मैं वही पुरानी मिल में अपने अंकल की गेहूं साफ करने में मदद कर रहे थे अंकल के फार्म हाउस पर बहुत से अश्वेत किसान रहते थे जो कि मिल में मजदूरी करके अपना पेट पालते थे अचानक धीरे से दरवाजा खोला और किराएदार की एक छोटी सी अश्वेत लड़की अंदर आई और दरवाजे के पास आकर खड़ी हो गई।
उसे देखते ही अंकल चिल्लाए ” पूछा क्या चाहिए तुम्हें??
बच्ची ने विनम्रता से कहा ” मेरी मम्मी ने कहा है कि आप उन्हें उनके 50 सेंट भिजवा दें!
मैं नहीं दूंगा चली जाओ तुम यहां से अंकल ने बड़ी बेरुखी से जवाब दिया।
यस सर बच्ची ने जवाब दिया परंतु वह वहीं खड़ी रही।
अंकल फिर से अपने काम में जुट गए हो वह इतने व्यस्त थे कि उन्होंने ध्यान ही नहीं दिया कि लड़की अभी भी वही खड़ी है काफी देर बाद जब उनकी नजर बच्ची पर गई तो फिर से चिल्लाए मैंने कहा था ना तुम जाओ यहां से नहीं तो मैं अभी तुम्हारी पिटाई कर दूंगा।
“यस” सर लड़की ने कहा लेकिन वह अपनी जगह से जरा भी ना मिली।
अंकल ने अनाज की उस बोरी को वही पटक दिया जिसे वह उठाकर चक्की में डालने वाले थे और डंडा उठाकर तेज कदमों से बच्ची की ओर लपके उनके हाव भाव देखकर लगता था कि आज तो बच्ची की खैर नहीं।
कुछ क्षण के लिए डार्वी की सांसें थम गई उसे पता था कि अंकल का गुस्सा तेज है और वह बच्ची को पीट देंगे घबराहट के मारे डार्वी ने दोनों हाथों से चेहरा छुपा लिया।
लेकिन जैसे ही अंकल बच्ची के नजदीक पहुंचे तो लड़की भी पीछे हटने की वजह एक कदम अंकल की तरफ बढ़ गई और उनकी आंखें मैं आंखें डाल कर चिल्लाई मेरी मम्मी को 50 सेंट चाहिए ही चाहिए।
इतनी छोटी सी बच्ची का हौसला देखकर स्तंभ नजरों से उसे ही ताकता रहा अंकल का गुस्सा एकदम से शांत हो गया और डंडा उसके हाथ से छूटकर नीचे गिर गया उन्होंने अपने जेब से आधा डॉलर निकाला और बच्ची को दे दिया।
बच्ची ने पैसे लिए और धीरे-धीरे दरवाजे की तरफ बढ़ने लगी लेकिन उसकी नजरें अभी भी उस आदमी पर लगी थी जिससे उसने कभी अभी हराया था जब वह चली गई तो अंकल एक बॉक्स पर बैठ गए और बिना कुछ कहे करीब 10-15 मिनट तक खिड़की के बाहर जाते हुए कुछ सोचते रहे शायद मैं यह सोच रहे थे कि एक छोटी सी बच्ची के अद्भुत सास ने उनके अभिमान को कुछ ही क्षण में पैरों तले रौंद दिया।
डार्वी के मन में भी कुछ इसी तरह का चिंतन चल रहा था अपने जीवन काल में उसने पहली बार किसी छोटी सी अश्वेत बच्ची को किसी वयस्क श्वेता आदमी पर इस कदर हावी होते देखा था जो कि कोई छोटी मोटी बात नहीं थी उस बच्ची ने ऐसा कैसे किया ऐसी कौन सी शक्ति थी जो उसने में कि वह अंकल के सामने भी नहीं घबराई और अंकल को क्या हो गया था उनका ज्वालामुखी की तरह फूटा आक्रोश पल भर में कैसे शांत हो गया और एक आज्ञाकारी बेटी की तरह बच्ची की बात मान ली इस तरह के अनगिनत सवाल लगातार उसके जेहन में उमड़ते रहे लेकिन वर्षों तक जवाब का इंतजार ज्यों का त्यों बना रहा।
जब दो जने उस पुरानी मिल में खड़े थे तो डार्वी ने इसी पूरी वाकऐ को फिर से दौरा है और अंत में एक ही सवाल पूछा आपको क्या लगता है बच्ची में ऐसी कौन सी शक्ति थी जिससे कि उसने अंकल जैसे गुस्सैल और हटी व्यक्ति को हरा दिया खैर आप ज्यादा सोच विचार मत कीजिए इस सवाल का जवाब आपको इस टाइटल में मिल जाएगा उम्मीद है कि आप सब इस से पूरी तरह संतुष्ट होंगे सारी जानकारी विस्तार पूर्वक और दातों के अनुसार ही दी गई है जिसकी मदद से कोई भी व्यक्ति गुस्सा अद्भुत शक्ति का प्रयोग कर सकता है जिसका प्रयोग ने अनजाने में ही कर लिया।
चलिए अगले अध्याय में शक्ति की एक और झलक देखने को मिलेगी तो अब आप अपनी आंखें खुली और दिमाग 70 रखिए क्योंकि इससे उसी अद्भुत शक्ति का जिक्र है जिसने बच्ची की अपनी बात पर अडिग रहने वालों की स्पष्ट पोस्ट में कहीं-कहीं पर आपको ऐसे विचार भी मिल जाएंगे जिन्हें पढ़कर आपकी गृहणशील शक्तियां पैनी हो जाएंगी और आप भी अपने लाभ के लिए उन अचूक शक्तियों का उपयोग कर सकते हैं यह किसी भी रूप मैं आपकी सामने आ सकते हैं हो सकता है कि यह सोच के रूप में आपके सामने ओवर कराएं या फिर किसी योजना की तरह यह धीरे-धीरे आपको आपके अतीत में ले जा सकता है या पिछली किसी असफलता की तरफ भी जहां से आपको निष्कर्ष निकालना होगा जिससे कि जितना आपने खोया है उससे कहीं ज्यादा हासिल करने का आत्मविश्वास जागे
जब मैं और डार्वी आपस में बात कर रहे थे तो उसने उस छोटी सी अश्वेत बच्ची के अद्भुत शक्ति के प्रयोग करने का किस्सा फिर से कहा तभी डार्वी ने अपने 30 साल के जीवन बीमा सेल्समैन के काम का विश्लेषण करते हुए इस सच्चाई को स्वीकार किया कि उसकी इस सफलता की वजह वही छोटी बच्ची है और उसकी हिम्मत है जिस से सबक लेकर मैंने हर ना को हां मैं बदल दिया।।
मिस्टर डार्विन ने बताया हर बार जब भी कोई संभावित ग्राहक मुझ से सामान खरीदने से मना कर देता या फिर मुंह पर ही दरवाजा बंद करके जाने लगता तो मुझे उसी वक्त मिलने खड़ी उस छोटी सी बच्ची की याद आ जाती जिसकी बड़ी-बड़ी निश्चल सी आंखें मैं अब अवज्ञा साफ नजर आ रही थी यह याद आते ही मैं खुद से कहता कि मुझे यहां सेल अवश्य करनी चाहिए और आप यकीन नहीं मानोगे कि मेरी जाकर बिक्री तभी शुरू हुई जब लोगों ने शुरुआत में ही ना कहा।।।